मिट्टी मिट्टी करते राजस्व विभाग को लगा रहे हैं चूना परमिशन की आड़ में कानून जाए भाड़ में ! दरियापुर, हरिद्वार!
सत्य लेकिन बेहद कड़ुआ,,परमीशन की आड़ में कानून जाए भाड़ में ! दरियापुर, हरिद्वा! ,आपने कभी गंभीरता पूर्वक विचार किया की हरिद्वार ही नहीं वल्कि अक्सर सम्पूर्ण भारत में तमाम नियम कानून निष्क्रिय सिद्ध होते हैं,, कभी कभी कानून का डंका केवल गरीबों के लिए पीटा जाता है,, अमीर के साथ साथ अवैध कार्यों में लिप्त लोगों के आगे कानून खुद बौना नजर आता,, अब बात करते हैं हरिद्वार जनपद की, जिसे धर्म नगरी के नाम से जाना जाता है,, जिसे भगवान विष्णु का हृदय कहा जाता है,, विश्व के कोने कोने से लोग यहां पर आकर स्वयं को धन्य समझते हैं,, लेकिन यहां पर धन के लालच में अंधे होकर जिम्मेदार लोगों को आप पूरी तरह से बिकता हुआ देख सकते हैं ,, बात इस समय पर दरिया पुर पेट्रोल पंप के पीछे परमीशन के नाम पर हो रहे अवैध खनन की करते हैं ,, जिसे राजस्व विभाग ने 8400 घन मीटर की परमीशन दी है साथ ही जे सी वी द्वारा मिट्टी खुदाई की परमीशन है या नहीं यह बात अभी संदेह के घेरे में है*साथ ही परमीशन में कितने डम्फर चलाने की अनुमति है और डम्फर में कितनी मिट्टी ले जानें की अनुमति दी गई है लेकिन ईमानदार एस डी एम भगवान पुर द्वारा कल अनिमीयता पाए जाने पर कुछ डम्फरो को सीज किए जाने पर जनता द्वारा सराहना की जा रही है क्यों कि आज वर्तमान समय पर बहुत कम लोग अवैध कार्यों को देख कार्यवाही अमल में लाते हैं ,, इस बात से राजस्व विभाग पूरी तरह बेखबर है,, मिट्टी परमीशन से अधिक जे सी वी द्वारा खोदी जा चुकी है या नहीं इस बात से भी कोई भी सरोकार किसी जिम्मेदार को नहीं है,, अब आप विचार करें कि मान लिया जाए कि मिट्टी खुदाई अवैध नहीं है तो फिर जिस स्थान से मिट्टी खुदाई की जा रही है उस स्थान पर जानें वाले सभी रास्तों पर खनन माफियायों के लोग क्यों निगरानी रख रहे हैं ,, साथ ही खनन माफिया की कार में सत्ता पक्ष का झंडा क्यों कहीं यह पार्टी को बदनाम करने की साजिश तो नहीं है,,,तमाम लोगों को पैसे भी बांटने की गोपनीय चर्चा हो रही है ,, लेकिन क्यों,, और कौन देगा जवाब इन अन सुलझे सवालों का ,, या फिर इसी तरह जमीर बेचने वाले लोगों द्वारा प्राकृतिक दोहन होता रहेगा , जिसके भयानक परिणाम प्राकृतिक आपदाओं के रुप जनता को एवम तमाम बीमारियों के रुप में दोषी लोगों को झेलना पड़ेंगे,!
सं संपादक शिवाकांत पाठक