राजस्व विभाग की मिली भगत से रोशनाबाद नवोदय नगर की नदियों में अवैध खनन का कारोबार चरम पर
प्रसाशन के बगल में रात के अँधेरे में खनन माफियाओं का तांडव, रात के अँधेरे में अवैध खनन का खेल अपने चरम पर पहुँच चुका है। नदियों से अवैध रूप से बजरी, रेत और मिट्टी का खनन खुलेआम किया जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब कार्य प्रशासनिक कार्यालयों और सरकारी तंत्र की नाक के नीचे हो रहा है। खनन विभाग राजस्व विभाग की कथित मिलीभगत और स्थानीय प्रशासन की चुप्पी ने खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद कर दिए हैं।की सड़कों पर धड़ल्ले से खनन माफियाओं के ट्रेक्टर दौड़ते है
रात का अंधेरा ढलते ही इस इलाके की नदियाँ खनन माफियाओं के लिए सोने की खान बन जाती हैं। ट्रैक्टर-ट्रॉली और जेसीबी मशीनों की गड़गड़ाहट अक्सर आसपास के ग्रामीणों को नींद से जगा देती है। लेकिन प्रशासनिक अमले के कानो में रुई ओर आँखों पर जैसे पट्टी बंधी हो।
राजस्व विभाग की चुप्पी सवालों के घेरे में
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि खनन ओर राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े स्तर पर खनन संभव ही नहीं है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि खनन माफिया खुलेआम करोड़ों रुपये का कारोबार कर रहे हैं, जबकि विभागीय अधिकारी मौन साधे बैठे हैं। ग्रामीणों का यह भी दावा है कि खनन माफिया नियमित रूप से अधिकारियों की जेबें गर्म कर रहे हैं।
क्षेत्र के बुजुर्ग का कहना है—“अगर प्रशासन वाकई चाहता तो एक दिन में खनन बंद हो सकता है। लेकिन जब खुद राजस्व विभाग और खनन विभाग इसमें हिस्सेदार बने हुए हैं तो फिर कोई भी कार्यवाही कैसे होगी?”
नदियों का पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में
लगातार हो रहे अवैध खनन से रोशनाबाद और नवोदय नगर की नदियों का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। जहाँ कभी पानी कल-कल बहता था, वहाँ अब गहरे गड्ढे और असमान धरातल नजर आने लगे हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि इस तरह का अनियंत्रित खनन न केवल नदियों के प्रवाह को बाधित करता है बल्कि भू-जल स्तर को भी प्रभावित करता है।
पर्यावरण विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले वर्षों में क्षेत्र गंभीर भूमि कटाव की समस्या से जूझेगा। नदियों में बार-बार दिशा परिवर्तन की घटनाएँ बढ़ सकती हैं, जिससे आसपास की जमीन ओर घर भी बर्बाद हो जाएगे।
रात में चलता तांडव, दिन में सन्नाटा
स्थानीय लोगों ने खुलासा किया है कि खनन माफिया दिन में पूरी तरह सन्नाटा रखते हैं, ताकि प्रशासन को कोई सबूत न मिले। लेकिन जैसे ही रात का अंधेरा छाता है, ट्रैक्टर-ट्रॉली, डंपर और मशीनों की कतारें नदी किनारे लग जाती हैं। महज कुछ घंटों में सैकड़ों टन रेत और बजरी अवैध रूप से निकाल ली जाती है।
अक्सर नवोदय नगर के क्षेत्रवासियों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन माफियाओं की दबंगई और धमकियों के आगे आम जनता खामोश हो जाती है। विरोध करने वाले ग्रामीणों को तरह-तरह से डराया और धमकाया जाता है। कई बार मारपीट की घटनाएँ भी सामने आ चुकी हैं।
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
प्रशासन के दफ्तर ठीक उसी क्षेत्र में स्थित हैं जहाँ यह खनन हो रहा है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि जब खनन माफिया रात भर तांडव मचाते हैं तो प्रशासनिक अधिकारी आँखें मूँद कर क्यों बैठे रहते हैं? क्या यह सिर्फ लापरवाही है या फिर इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार छिपा है?
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है—“यहां सबको पता है कि बिना ऊपर से मिलीभगत के कोई ट्रैक्टर नदी में नहीं उतर सकता। रात-रात भर गाड़ियाँ चलती हैं, लेकिन खनन विभाग और राजस्व विभाग को कुछ नजर ही नहीं आता।”
सरकार की सख्त नीतियों को चुनौती
राज्य सरकार बार-बार यह दावा करती रही है कि अवैध खनन पर नकेल कसी जा रही है। कड़े कानून बनाए गए हैं, भारी जुर्माने तय किए गए हैं और कई जगहों पर अभियान भी चलाए गए हैं। लेकिन रोशनाबाद और नवोदय नगर का हाल बताता है कि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। यहाँ खनन माफिया बेखौफ होकर न केवल कानून को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि सरकारी तंत्र की साख पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
जनता की आवाज
क्षेत्र के लोग अब इस मुद्दे को लेकर एकजुट होने लगे हैं। गाँव-गाँव बैठकों का दौर शुरू हो गया है और जल्द ही आंदोलन की चेतावनी भी दी जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर खनन पर रोक नहीं लगी तो वे सड़क पर उतरकर प्रशासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे।
“अब यह सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य का सवाल है। यदि नदियाँ यूँ ही खोखली होती रहीं तो आने वाले समय में नदियों का कटाव ना तो हम लोगों के घर छोड़ेगा ना ही जमीन,
आखिर कब रुकेगा अवैध खनन?
अवैध खनन का कारोबार सिर्फ प्राकृतिक संपदा की लूट नहीं, बल्कि आने वाले समय के लिए गहरा संकट है। हर रोज़ लाखों-करोड़ों रुपये की बजरी और रेत अवैध रूप से बेची जा रही है और सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुँच रहा है।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन वाकई इस खेल को रोकने की इच्छाशक्ति रखते हैं, या फिर यह कारोबार यूँ ही चलता रहेगा? जब तक राजस्व विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत पर चोट नहीं की जाएगी, तब तक रोशनाबाद और नवोदय नगर की नदियाँ माफियाओं के लिए खजाना और जनता के लिए अभिशाप बनी रहेंगी।
