शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि उत्तराखंड में पहली से पांचवी कक्षा तक की पढ़ाई स्थानीय भाषा में होगी। उन्होंने अधिकारियों को सभी क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि जो भी हमारी स्थानीय भाषाएं हैं, उस क्षेत्र के बच्चे उन्हीं भाषाओं में पढ़ाई करेंगे। इससे एक बात तो साफ है कि जल्द ही अब गढ़वाली-कुमाऊंनी की तरह ही रवांल्टी और जौनसारी में भी बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर पाएंगे।
नई शिक्षा नीति में इसको लेकर साफ निर्देश दिए गए हैं। उत्तराखंड सरकार पहले नई शिक्षा नीति को लागू कर चुकी है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने इस बावत शिक्षा विभाग के अधिकारियों को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि, प्रदेश में पहले से ही गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा की पढ़ाई करवाई भी जा रही है। जहां तक भाषाओं की बात है। राज्य में 13 भाषाएं बोली जाती हैं, जिन पर बाकायदा भारतीय भाषा संस्थान ने रिसर्च भी किया है। सभी 13 भाषओं का एक सामूहिक शब्दकोष भी तैयार किया जा चुका है। हालांकि, इनमें से कुछ भाषाओं पर अब भी बहुत काम करने की जरूरत है। इनको बोलने वाले लोगों की संख्या भी कम बची हुई है। लेकिन, सरकार के इस कदम से जरूर स्थानीय भाषओं को संजीवनी मिलेगी।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने ननूरखेड़ा स्थित वर्चुअल क्लास के केंद्रीय स्टूडियो के माध्यम से उत्तराखंड में शिक्षकों, अभिभावकों और जनप्रतिनिधियों से संवाद किया। ‘हमारा प्रयास, हो शिक्षा का विकास’ संवाद कार्यक्रम के तहत उन्होंने प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आज से शुरू हुए प्रवेश उत्सव का उद्घाटन किया। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए कहा कि, प्रदेश में पहली से पांचवी तक की पढ़ाई गढ़वाली-कुमांऊनी समेत स्थानीय भाषाओं में करवाने की तैयारी की जा रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसके लिए संभावनाएं तलाश कर प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षा मंत्री ने संवाद में मौजूद विधायक, पंचायत प्रतिनिधि समेत अन्य जनप्रतिनिधियों से अटल उत्कृष्ट विद्यालय और अन्य राजकीय विद्यालयों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास करने की अपील की। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र के स्कूलों की समस्या भी बताई।